क्या तेरा जाना जरुरी था

                  क्या तेरा जाना जरुरी था 


बचपन तू मुझे अकेला कर गया,क्या तेरा जाना जरुरी था।

यदि हाँ तो साथ ले चलता,क्या मुझे पीछे छोड़ना जरुरी था।


तू तो दोस्त था ना मेरा, तुझे याद नहीं रहा मैं।

हकिकत में ही रूठकर चला गया,क्या तेरा इस तरह रूठना जरुरी था।


मैनें बताया था ना तुझे,कि मेरा एकतरफा प्यार है।

फिर भी बेवफ़ा कह गया मुझे,ऐसा कहना क्या तेरे लिये जरुरी था।


तू तो बड़ा दयालु था ना,इतना पत्थर दिल कैसे हो गया।

मेरे इश्क का चाव नही रहा तुझे,क्या मुझे तड़पाना जरुरी था।


और हाँ ये जिम्मेदारियाँ,ये नौकरियाँ,सभी मैं ही करूँगा 

कुछ तू नहीं कर सकता,क्या तेरा इनसे बचना जरुरी था।






तेरे आने के बाद/ जेआर बिश्नोई

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                तेरे  आने के बाद       


©️copyright : जेआर बिश्नोई  ,bloomkosh के पास संकलन  की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग जेआर बिश्नोई    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - तेरे आने के बाद 



तेरे आने के बाद 

हे नारी! तू ही जगत जीव संसार
अद्भूत तेरी रचना,जिसका नहीं है कोई पार

तेरे आने से पहले,सुना पड़ा जो मकान 
बन गया घर जो ,आज बसते जिसमें खुद भगवान

आनन्द का पार नहीं, खुशियों का भरा भंडार 
अकेला था जो, आज कहलाता पूरा परिवार

कलियाँ फूटी उन शाखाओं पर,जो पड़ी थी कब से वीरान
फ़ूल खिले,खुशबू महकी, मुस्कराए बागवान 

यह सब कुछ हुआ,हे नारी !तेरे आने के बाद 
तू है तो यह जगत है ,नहीं तो सब कुछ बर्बाद।

कविता



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उड़ना बाकी है/ जेआर बिश्नोई

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            उड़ना बाकी है              


©️copyright : जेआर बिश्नोई  ,bloomkosh के पास संकलन की अनुमति है ।इस रचना का प्रयोग  जेआर'बिश्नोई '  की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - उड़ना बाकी है



             उड़ना बाकी है


खाली मत बैठ यूँ,अभी तेरा इम्तिहान बाकी है।

पँछी उड़ आकाश में,अभी तेरी उड़ान बाकी है।


सोने से पहले सोच तू,तेरे कुछ काम बाकी है।

उठा तिनका अभी,तेरे नीड़ का मुकाम बाकी है।


घोंसला तेरा मुकाम नही,बाज बन उड़ना बाकी है।

तेरे पंखो से असीम नभ को अभी नापना बाकी है।


चहकना ही जिन्दगी नही,महकना अभी बाकी है।

उठा कलम कुछ लिख,खिताब नही इतिहास बाकी है।


'जसु'नसीब पीछे तू आगे,तेरा अभी चलना बाकी है।

थक बैठना तेरा काम नहीं,गिरकर सम्भलना बाकी है।




कविता/ उड़ना बाकी है



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अकेलापन

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                अकेलापन             


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शीर्षक - अकेलापन 



                  


जब  अकेले  आये  दुनिया में, 
तो अकेले क्यों नहीं रह सकतेl
जब  अकेले जाना  दुनिया से,
तो खुश क्यों नहीं रह सकतेll
  जानती   हूँ    मैं, 
बहुत  बातें  बतानी  हैl
पर कोई शख्स ही नहीं है, 
जिन्हें ये बातें सुनानी है।। 
क्यों चाहते एक शख्स, 
जो तुमको जरा समझे।
खुद ही में है वो शख्स, 
जो तुमको सदा समझे।। 
तो खुद मैं खोजो उसको, 
मिलकर  सुकून पाओगे।
पर अगर बाहर खोजा तो, 
सिर्फ   दर्द   पाओगे।। 
अब मर्जी तुम्हारी है, 
क्या चाहते हो तुम। 
अकेले रहना चाहते हो, 
या दर्द सहना चाहते हो।। 
     मानती    हूँ    मैं, 
 बहुत कठिनाई आयेगी। 
 पर  उस दर्द से बेहतर, 
तो वो  कठिनाई  भायेगी।




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जिंदगी

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                  जिंदगी                  


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शीर्षक - जिंदगी 


Poem-4
                            ज़िंदगी
जिंदगी   का   सफर, 
भरा है  पूरा काटों से। 
हँसकर तुम चलोगे तो, 
ये काटें भी है फूल से।। 
रोने   से  मिलेगा  क्या, 
दर्द  खुद को  दोगे तुम। 
जरा मुस्कुरा के देखो तो, 
कितने चेहरे खिलेगे तब।। 
मुश्किलों   का   दौर  है, 
तुम  धैर्य  रखो  गुजरेगा। 
जब नया सवेरा आयेगा, 
तो ये वक्त भी  सुधरेगा।। 

। 




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यह छोटा सा जीवन

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            यह छोटा सा जीवन    


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शीर्षक - यह छोटा सा जीवन


Poem-3

यह छोटा सा जीवन

कभी    हँसायेगा, 
तो कभी  रूलायेगा। 
पर  तू डरना मत मेरे दोस्त,
यह बस इम्तिहान लेकर जायेगा।। 
                     यह छोटा सा...... 
जीवन में अगर मुश्किलें आयेगी, 
तो बहुत कुछ सिखा कर जायेगी। 
तू बस हिम्मत से काम लेना मेरे दोस्त, 
तो ये सारी मुश्किलें भी हल हो जायेगी।। 
                    यह छोटा सा.......... 
इस  छोटे  से  जीवन  में, 
यादों  का  बड़ा  पिटारा  होगा। 
तू बस हर लम्हे को खुल के जीना मेरे दोस्त, 
ये  जीवन  न  दुबारा  होगा।। 
                   यह छोटा सा........... 





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किस्मत

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                किस्मत                


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शीर्षक - किस्मत


Poem-2
                किस्मत
क्यों कोसते हो किस्मत को अपनी, 
जरा  निकलकर  देखो  तो  बाहर। 
जो  मिला  है  तुमको  बिन  मागें, 
उसके लिए तरस रहे लोग हजार।। 
तो कोसना बन्द करो किस्मत को, 
और शुकिया करो अब उस रब को। 
जिसने  बख्शा  ये   सब  तुम  को, 
कोटि-कोटि नमन करो अब उसको।। 






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