काव्यशास्त्र

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काव्य वाड्मय का ही एक अंग है और वाड्मय का अर्थ है - शब्द - अर्थमय साहित्य अर्थात जो कुछ भी लिखा- पढ़ा जाता गै वह वाड्मय है,इस प्रकार काव्य को भी वाड्मय के अन्तर्गत माना जाता है।काव्य में जो लिखा जाता है वो चमत्कृत और आनन्द प्रदान करने वाला होता है।     अर्थात काव्य रमणीय अर्थ प्रदान करने वाला होता है।

काव्य की परिभाषा:-

आचार्य भामह ने काव्य की परिभाषा देते हुए शब्दार्थ सहित काव्य को काव्य कहा है 

              शब्दार्थोसहितौकाव्यम

आचार्य रुद्र्ट-
            
              ननु शब्दार्थो काव्यम


आचार्य रामचन्द्र शुक्ल- 

जो उक्ति हृदय मे भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य में मार्मिक भावना में लीन कर दे वह काव्य है।


कुल मिलाकर कह सकते है कि काव्य आनन्द की प्रतीति कराने वाला होता है और वह शब्दार्थ की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनता है।

 


काव्य के रुप / भेद

काव्य के प्रमुखत:दो भेद है-

1  दृश्य काव्य
2   श्रव्य काव्य





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