तेरे आने के बाद/ जेआर बिश्नोई

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                तेरे  आने के बाद       


©️copyright : जेआर बिश्नोई  ,bloomkosh के पास संकलन  की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग जेआर बिश्नोई    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - तेरे आने के बाद 



तेरे आने के बाद 

हे नारी! तू ही जगत जीव संसार
अद्भूत तेरी रचना,जिसका नहीं है कोई पार

तेरे आने से पहले,सुना पड़ा जो मकान 
बन गया घर जो ,आज बसते जिसमें खुद भगवान

आनन्द का पार नहीं, खुशियों का भरा भंडार 
अकेला था जो, आज कहलाता पूरा परिवार

कलियाँ फूटी उन शाखाओं पर,जो पड़ी थी कब से वीरान
फ़ूल खिले,खुशबू महकी, मुस्कराए बागवान 

यह सब कुछ हुआ,हे नारी !तेरे आने के बाद 
तू है तो यह जगत है ,नहीं तो सब कुछ बर्बाद।

कविता



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