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शीर्षक - सुख और आनंद में सूक्ष्म अंतर
कविता 2
विषय:- सुख और आनंद में सूक्ष्म अंतर
समझ ले बंदे, सुख और आनंद में बड़ा सूक्ष्म हैं अंतर।
गलतफ़हमी इंसान की इस्तेमाल करता पर्याय समझकर।
सुख हमेशा किसीं व्यक्ती या वस्तू पे होता निर्भर।
आनंद तो हमारी प्रकृती झाँक ले जरा मन के भीतर।
आनंद में सुखानुभूती होती, पर सुख में नहीं मिलता आनंद।
आनंद का संबंध आत्मा से, सुख का संबंध शरीर के अंदर।
मनुष्य का आनंद अक्षय, अनंतकाली, शाश्वत।
पर मनुष्य का हर सुख अल्पकाली, अस्थायी, क्षणिक।
आनंद से और आनंद हैं मिलता, सुख के बाद दुख आता अक्सर।
आनंद और सुख बांट़कर, स्वर्ग का अनुभव मिलता इसी धरापर।
"सत्, चित्, आनंद" स्वरूप हैं तेरा, देख जरा ज्ञान चक्षू खोलकर।
मत दौड़ क्षणिक सुख के पिछे, आनंद तो तेरे हृदय के भीतर।
रश्मी कौलवार
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