सीख

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                सीख                      


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शीर्षक - सीख

कविता 3
विषय:-सीख

जिंदगी की पाठशालामें हमें रोज कोई न कोई सीख दे जाता है।
अपने अनुभव, ज्ञान, शिक्षा से हमे  समृद्ध कर जाता है।
माता पिता, परिवार हमे जीने के तरीके सीखाते है।
जीवन पथ पर सही दिशा में चलना सीखाते है।

गुरु हमे अक्षर ज्ञान देकर जीवनपथ पर प्रगती करना सीखाते है।
दोस्त तो जिंदगी के हर रंग में रंगना सीखाते है।
मनुष्य ही नहीं पशु, पक्षी, सृष्टी भी हमे सीख देती हैं।
जीवन का सारा सार हमे अपने आचरण से समझाते हैं।

चींटी कभी हार नहीं मानती, बार बार गिरकर उठ़ जाती हैं।
आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास का पाठ़ सीखाती है।
रंगबिरंगी तितली अपने धून में मस्त होकर मधुर रस का पान करती हैं।
अच्छे गुणों का आकलन, सदैव खुश रहना सीखाती है।

बगुला एकाग्रता से शिकार कर धैर्य, संयम का पाठ़ पढ़ाता हैं।
बाज़ जैसी तेज़ नजर रखोंगे तो, लक्ष्य जरूर प्राप्त होता हैं।
नदी, पर्वत, वृक्ष, निस्वार्थ भाव से सेवा देकर, परोपकार की सीख देते है।
ये चाँद सुरज हमे सही वक्तपर, कड़ी मेहनत करने की सीख देते है।

हर कोई किसीं न किसीं रूप में, कही ना कही हमे सीख देता है।
जीनसे हमें जीवन का सच्चा मोल समझ में आता हैं।
 
रश्मी कौलवार
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