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भक्तों की पुकार
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शीर्षक - भक्तों की पुकार
विधा: मनहरण घनाक्षरी;
प्रति पद 31 वर्ण
8, 8, 8, 7 पर यति
शीर्षक- भक्तो की पुकार
*जगमग चहुँ ओर, भक्त तेरे करें शोर,
जय माँ अम्बे भवानी, मातारानी आ गयीं।
लिए दीप और ज्योत, भक्ति में हैं ओत-प्रोत,
माता के विविध रूप, हिय में समा गयीं।
सज गया दरबार, भक्त करें इंतजार,
देख माता का श्रृंगार, नयन हर्षा गयीं।
दुखियों के हरें दुःख, चारों ओर करें सुख,
रूप माता के अनूप, जगत में छा गयीं।।1।।
*माता के हैं नव रूप, दुर्गा काली अम्बे रूप,
जगत जननी माता, कृपा बरसाइये।
माता तेरे भक्तगण, माँगते हैं कुछ वर,
इस जगत से अब, कोरोना हटाइये।
जन सब घर रहें, तेरे ही शरण गहें,
महामारी प्रकोप से, जग को बचाइये।
माता के रूप अनेक, हिय से स्वरूप देख,
सृष्टि के कल्याण हेतु, माता आ जाइये।।2।।
स्वरचित मौलिक रचना
-इन्दु साहू,
Bloomkosh
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