नवल किरण

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                नवल किरण             


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शीर्षक - नवल किरण



विधा: कविता
शीर्षक: नवल किरण
दिनांक: २४/१०/२०२०
वार: शनिवार
कविता संख्या:1️⃣
 
रश्मिरथी दिवाकर निज स्वर्णिम आभा लिए उदित होने को सज्जित हो रहा

आलोकित प्रखर तेज समक्ष ,तमस का कलुषित साम्राज्य विलुप्तप्राय हो रहा

सघन विटप द्रुमों पर खग- विहग के मधुर कलरव से संगीतमय वातावरण हो रहा

मलय की सुवसित मंद -मंद सुगंध लिए शीतल बयार से तन मन प्रफुल्लित हो रहा

दिग-दिगंत में गूंज रही वेदों की ऋचाएँ, अलौकिकता का अनुभव अपार हो रहा

तेजोमय नवल किरणों से नवप्रभात की मंगल बेला में नवजीवन का संचार हो रहा

मिटी व्याप्त नकारात्मकता वातावरण में चंहुओर सकारात्मकता का प्रसार हो रहा

नव -चेतना, नव-प्राण,नव-सृजन , नव-उत्साह से सकल जन-जीवन का साक्षात्कार हो रहा

प्रखर नवल किरणों के संदेश से हृदय में ज्ञान एवं चेतना का दीप प्रज्वलित हो रहा

निज पुरुषार्थ से आनंदानुभूति सह आत्मविश्वास रूपी नव पल्लव स्फुटित हो रहा

हे नरश्रेष्ठ उठ ! तज दे आलस्य ,कर अंतस में नवचेतना जागृत तू क्यों सुप्त हो रहा

हृदय कर्मपथ पर सत्कर्मों की पताका लहरा इतिहास रचने को आतुर हो रहा

-©Anjalee Chadda Bhardwaj

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार 
सुरक्षित रचना
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