गौरवशाली इतिहास के अवशेष

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        गौरव शाली इतिहास के अवशेष   


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शीर्षक - गौरवशाली इतिहास के अवशेष


विधा -कविता




भव्यता के अवशेष मात्र है अब

देखो अप्रतिम एक पुराना महल

जहाँ कभी हरदम रहा करती थी

अपार रौनक और चहल - पहल



साक्षी हैं यह शौर्य - गाथाओं की

अमरप्रेम की अनूठी कथाओं की

साहस - शौर्य एवम् बलिदान की

जौहर एवम् सतियों के मान की



भव्यता भव्यतम राजदरबारों की

राजसी ठाट-बाट के व्यवहारों की

उच्च झरोखों - अट्टालिकाओं की

गगनचुंबी मेहराबों एवं मीनारों की



मधुर रागों - रागनियों के गान की

वाद्य - यंत्रों की सुरमयी तान की

मधुर वीणा संग मृदंग की थाप की

घुंघरुओं पर थिरकती पदचाप की



घुमावदार गोल-गोल गलियारों की

चौड़े-चौक और चौकोर-चौबारों की

रहस्यमय गुप्त स्थानों तहखानों की

कलात्मक अलंकृत द्वार दीवारों की



वो चिंघाड़ें सुसज्जित हाथियों की

 वो हिनाहिनाहटें तीव्र वाजियों की

खनक तेज़ तीरों और तलवारों की

कटक -कटीली -काट -कटारों की



भव्यता बताते यह सब इतिहास की

बात नहीं कदापि हास- परिहास की

निज स्वर्णिमयुग के उस इतिहास की

जीवन के क्षणभंगुरता के आभास की



-© Anjalee Chadda Bhardwaj

मौलिक-स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित रचना







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