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बेदर्द मोहब्बत
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शीर्षक - बेदर्द मोहब्बत
Poem 4
Bedard mohabbat
मुझे जब तू मिला तो एक खयाल मिला
उलझन से उभरा फिर एक सवाल मिला ।।
दरिया बहा ले गया एक खत जो तुम्हारी थी
बचाने निकला तो उधर तेरी निकाह की खबर मिला ।।
गजब का मोहब्बत - ए - मजाक मेरे साथ हुआ
जब चूमा आखरी दफा तुम्हे दिल को सवर मिला ।।
अब सिकायत क्या करूं और गीला किस बात का
मेरे साथ छोड़ के अब तुम्हे एक नई मंजिल मिला ।।
मेरा मकान तो मिट्टी का था जो मेरे आंसू से गिर गया
मुबारक हो महल तुम्हारी जिसे पाकर तुम्हे सुकून मिला ।।
Bloomkosh
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