आओ कान्हा

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                आओ कान्हा             


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शीर्षक - आओ कान्हा


चहूँ ओर घोर पाप तांडव कर रहा, बढ़ रहा है अत्याचार।
कैसा ये युग, जहाँ हर कोई त्राही त्राही कर रहा मचा हाहाकार?

विनाश लीला कर रही प्रकृति, अपने ही अपनों पर कर रहे प्रहार।
लूटी जा रही है अस्मत नारी की,अब कौन?आकर करें दुष्टों का संहार! 

बड़े बुजुर्गों का ना रहा आदर, सिर्फ कुकुर और फ़ोन से करते प्यार।
कैसी ये होड़ मची सोशल मीडिया पर,अपनों से ना रखते अब सरोकार! 

अनाचार का आतंक बढ़ा, हृदय में ईर्ष्या और राग द्वेष हो रहा सुमार।
अब फिर धर्म की स्थापना हेतु आओ कान्हा लेकर कल्की अवतार।

-priya pandya




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