उड़ना बाकी है/ जेआर बिश्नोई

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            उड़ना बाकी है              


©️copyright : जेआर बिश्नोई  ,bloomkosh के पास संकलन की अनुमति है ।इस रचना का प्रयोग  जेआर'बिश्नोई '  की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - उड़ना बाकी है



             उड़ना बाकी है


खाली मत बैठ यूँ,अभी तेरा इम्तिहान बाकी है।

पँछी उड़ आकाश में,अभी तेरी उड़ान बाकी है।


सोने से पहले सोच तू,तेरे कुछ काम बाकी है।

उठा तिनका अभी,तेरे नीड़ का मुकाम बाकी है।


घोंसला तेरा मुकाम नही,बाज बन उड़ना बाकी है।

तेरे पंखो से असीम नभ को अभी नापना बाकी है।


चहकना ही जिन्दगी नही,महकना अभी बाकी है।

उठा कलम कुछ लिख,खिताब नही इतिहास बाकी है।


'जसु'नसीब पीछे तू आगे,तेरा अभी चलना बाकी है।

थक बैठना तेरा काम नहीं,गिरकर सम्भलना बाकी है।




कविता/ उड़ना बाकी है



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