Pages

सब राज था झुठा

 Home रचनाकारो की सूची  रचनाएँ  काव्यशास्त्र  Other  रचना भेजे


                सब राज था झुठा      


©️copyright : jasuram   ,bloomkosh के पास संकलन की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - सब राज था झुठा 


एक दिन औरों के लिये 

कुर्बान करके आयी वो काली रात 

सो रहा था अकेला कर गयी वो घात

समझ नहीं सका मैं ,और 

न ही समझ सकी वो

वो गया उजाला, पौ फटी ,किनारा टुटा 

सब राज था झुठा 

मुझे बनाया शिकार ,बन गयी खुद धन्धुकार।





Bloomkosh 

Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।



हमसे जुड़े



अन्य रचनाएँ 




Terms & conditions     Privacy policy    About us  Contact us    Disclaimer 

No comments:

Post a Comment