Home रचनाकारो की सूची रचनाएँ काव्यशास्त्र Other रचना भेजे
सब दिखावा है
©️copyright : lotuswin'lobby ,bloomkosh के की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।
शीर्षक - सब दिखावा है
Poem 1
Sab dikhawa he
............................
ये आरती ये सृंगार आज किस काम की
दस बे दिन के बाद फिर सिकार तेरे शाम की !!
जो आज हर घर हर गली में मेरे नाम के गुण गाते हो
जब मांगती रहम तो गर्दन मोड के क्यों चले जाते हो !!
ये जो लगाए हो तमाशा नारी भक्ति का इस जाहान में
तुम ही वो कातिल निकलो गे जब लौटाओगे समसान में !!
मत करो ये दिखावा उसपे जो तुमको बनाया सवारा है
असली पूजा तो उसकी करो जो बेचारी किसिका साहारा है !!
Bloomkosh
Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।
हमसे जुड़े
अन्य रचनाएँ
Terms & conditions Privacy policy About us Contact us Disclaimer
No comments:
Post a Comment