हम जिद्दी

 Home रचनाकारो की सूची  रचनाएँ  काव्यशास्त्र  Other  रचना भेजे


                हम जिद्दी                  


©️copyright : aruna jaiswal    ,bloomkosh के की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - हम जिद्दी


देखो आज यह सागर कितना शांत है,
क्योंकि थम चुका अब तूफ़ान है।
वही तूफ़ान जो मचा रहा था उत्पात अपार,
थी हमारी भी नैया उस समय मझधार।
                 अब बातें थीं अपनों की याद आने लगी,
                 कहा था उन्होंने कि है खतरा, हमें है आशंका लगी।
                  किन्तु हम ठहरे जिद्दी, हम ना सुनते किसी की,
                करके हौंसले बुलंद, कर ली थी हमने भी अपने मन की।
लगता था ऐसा कि जैसे सागर की लहरें पुकार रही,
कभी सागर में भी सफर करो, जैसे हो हमसे कह रही।
न रोक सके थे हम खुदको और नैया थी आगे बढ़ा दी,
क्या होगा आगे? नहीं थी इसकी परवाह की।
                     ‌  अब था हमने भी तूफान को ललकारा,
                 ‌‌      था एकमात्र विश्वास ही हमारा सहारा।
                       पहुंचेंगे अवश्य किनारे पर, यह अटूट विश्वास था,
                   जीत हुई विश्वास की और पा लिया हमने किनारा था।
 
हौंसले यदि बुलंद हो और खुद पर हो विश्वास, तो कभी न सकोगे तुम बिखर,
अपनी कमज़ोरी को ताकत बना 'अरुणिमा सिन्हा' थी चढ़ गई ,सर्वोच्च शिखर।




Bloomkosh 

Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।



हमसे जुड़े



अन्य रचनाएँ 




Terms & conditions     Privacy policy    About us  Contact us    Disclaimer 

No comments:

Post a Comment

क्या तेरा जाना जरुरी था

                  क्या तेरा जाना जरुरी था  बचपन तू मुझे अकेला कर गया,क्या तेरा जाना जरुरी था। यदि हाँ तो साथ ले चलता,क्या मुझे पीछे छोड़ना जर...