Home रचनाकारो की सूची रचनाएँ काव्यशास्त्र Other रचना भेजे
कैसे संभाले
©️copyright : priya pandya ,bloomkosh के पास संकलन की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।
शीर्षक - कैसे संभाले
बागवा प्यारा सा, मेरा तूफा में बिखर सा गया है!
वक़्त के साथ मेरा बहुत कुछ बदल सा गया है!
ज़िंदगी की कश्ती बीच मझदार में डगमगाती रही!
कैसे बचे जब साहिल हमसे पीछे कहीं छूट सा गया है!
कैसे संभाले जब माँझी ही हमें डुबाने पर उतारूँ हो!
लगता है हमें खुदा हमारा हमसे अब रूठ सा गया है।
आखिर हौसले की पतवार भी कब तक यूँ बचाएगी!
जब शांत लहरों में ही तूफान अब उठ सा गया है।
आखिर समेटे भी तो कैसे आईने के टूटे टुकड़ों को।
जब अक्स ही हमारा इस दुनिया में बन झूठ सा गया है।
अब तो ना डूबने का डर और ना ही बचने की आस हैं।
जो संग था कारवां हमारे वह कहीं पीछे छूट सा गया है।
Bloomkosh
Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।
हमसे जुड़े
अन्य रचनाएँ
Terms & conditions Privacy policy About us Contact us Disclaimer
No comments:
Post a Comment