Home रचनाकारो की सूची रचनाएँ काव्यशास्त्र Other रचना भेजे
कविता हूँ मैं
©️copyright : ritu vemuri ,bloomkosh के की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।
शीर्षक - कविता हूँ मैं
कविता हूं मैं - शीर्षक /ritu vemuri
कविता हूंँ मैं व्यक्ति की अनुभूतियों का गान हूँ मैं
भावों से परिपूर्ण अन्तर्मन का सूक्ष्म आख्यान हूँ मैं
हृदय में दबे अस्फुट अनुभवों को मुखरित करती
मस्तिष्क में उपजते अनकहे विचारों का वितान हूँ मैं
गेयता का पुट है मुझमें भावसौंदर्य से गात भरा
भाषाशिल्प निखरा मुझसे तुकांत-अतुकांत हूँ मैं
नवरसों की बहे मुझमें गंगा अलंकार-छंद रूप निखारे
समृद्ध हुआ मुझसे साहित्य, साहित्य का श्रृंगार हूँ मैं
दूसरों तक विचार पहुँचाने का सरल-सहज माध्यम
शिक्षा का मनोरंजक साधन समझो वेद-पुराण हूँ मैं
इतिहास की धरोहर को आजतक संँजोकर रखा
वर्तमान को सँवारा मैंनें भविष्य का आधार हूँ मैं
समाज का दर्पण हूँ मै क्रांति की मशाल हूँ मैं
बिजली की कौंध शब्दों में मेरे हाँ!यलगार हूँ मैं
कह न सकते जो खुलकर वो कागज़ पर उकेरें
मौन मेधावियों को दिलाती संपन्न पहचान हूँ मै
माँ की लोरी में मैं हूँ प्रेमियों की तड़प में मैं बसती
नारी की कराह में मैं हूँ पूजा और अजान हूँ मैं
भाव के तार जब झंकृत होते
कविता के स्वर तब मुखरित होते
कविता हूंँ मैं व्यक्ति की अनुभूतियों का गान हूँ मैं
भावों से परिपूर्ण अन्तर्मन का सूक्ष्म आख्यान हूँ मैं
हृदय में दबे अस्फुट अनुभवों को मुखरित करती
मस्तिष्क में उपजते अनकहे विचारों का वितान हूँ मैं
गेयता का पुट है मुझमें भावसौंदर्य से गात भरा
भाषाशिल्प निखरा मुझसे तुकांत-अतुकांत हूँ मैं
नवरसों की बहे मुझमें गंगा अलंकार-छंद रूप निखारे
समृद्ध हुआ मुझसे साहित्य, साहित्य का श्रृंगार हूँ मैं
दूसरों तक विचार पहुँचाने का सरल-सहज माध्यम
शिक्षा का मनोरंजक साधन समझो वेद-पुराण हूँ मैं
इतिहास की धरोहर को आजतक संँजोकर रखा
वर्तमान को सँवारा मैंनें भविष्य का आधार हूँ मैं
समाज का दर्पण हूँ मै क्रांति की मशाल हूँ मैं
बिजली की कौंध शब्दों में मेरे हाँ!यलगार हूँ मैं
कह न सकते जो खुलकर वो कागज़ पर उकेरें
मौन मेधावियों को दिलाती संपन्न पहचान हूँ मै
माँ की लोरी में मैं हूँ प्रेमियों की तड़प में मैं बसती
नारी की कराह में मैं हूँ पूजा और अजान हूँ मैं
भाव के तार जब झंकृत होते
कविता के स्वर तब मुखरित होते
कविता हूंँ मैं व्यक्ति की अनुभूतियों का गान हूँ मैं
भावों से परिपूर्ण अन्तर्मन का सूक्ष्म आख्यान हूँ मैं
हृदय में दबे अस्फुट अनुभवों को मुखरित करती
मस्तिष्क में उपजते अनकहे विचारों का वितान हूँ मैं
गेयता का पुट है मुझमें भावसौंदर्य से गात भरा
भाषाशिल्प निखरा मुझसे तुकांत-अतुकांत हूँ मैं
नवरसों की बहे मुझमें गंगा अलंकार-छंद रूप निखारे
समृद्ध हुआ मुझसे साहित्य, साहित्य का श्रृंगार हूँ मैं
दूसरों तक विचार पहुँचाने का सरल-सहज माध्यम
शिक्षा का मनोरंजक साधन समझो वेद-पुराण हूँ मैं
इतिहास की धरोहर को आजतक संँजोकर रखा
वर्तमान को सँवारा मैंनें भविष्य का आधार हूँ मैं
समाज का दर्पण हूँ मै क्रांति की मशाल हूँ मैं
बिजली की कौंध शब्दों में मेरे हाँ!यलगार हूँ मैं
कह न सकते जो खुलकर वो कागज़ पर उकेरें
मौन मेधावियों को दिलाती संपन्न पहचान हूँ मै
माँ की लोरी में मैं हूँ प्रेमियों की तड़प में मैं बसती
नारी की कराह में मैं हूँ पूजा और अजान हूँ मैं
भाव के तार जब झंकृत होते
कविता के स्वर तब मुखरित होते
©️®️ ritu vemuri
Bloomkosh
Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।
हमसे जुड़े
अन्य रचनाएँ
Terms & conditions Privacy policy About us Contact us Disclaimer
No comments:
Post a Comment