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शीर्षक - परिवार /  jasu ram 



सब मिलजुल कर जहाँ रहते है हम

एक दुसरे को चाहते है हर दम

सब मिल बाँट कर काम करते

नही किसी से कभी भी लड़ते

साथ मिलकर आगे बढ़ते

नही किसी से कभी भी डरते

चाचा चाची ताऊ ताई भैया भैई

दादा की बात न टाले कोई

ऐसा है मेरा सूखी परिवार

हर रोज मनाता त्योंहार।




कविता/Bloomkosh
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