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नारी
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शीर्षक - नारी
रचना 1-
नारी
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अवला दुर्वला उपाधि मिली बहुत,
शक्ति स्वरूपिणी बन अब नारी...!
पर्दानाशीन ज़िन्दगी बहुत बीता ली तूने,
अब आंखों से दुश्मन को कर भस्म तू नारी..!
कर पदाघात अब मिथ्या के मस्तक पर,
सत्यानवेषण के पथ पर निकलो नारी...!
बहुत दिनों तक बनी दीप कुटिया का,
अब बनो ज्वाला की चिंगारी...!
Rimjhim
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