Pages

निगाहें

 Home रचनाकारो की सूची  रचनाएँ  काव्यशास्त्र  Other  रचना भेजे


                निगाहें                 


©️copyright : anjalee bhardwaj  ,bloomkosh के की अनुमति है।इस रचना का प्रयोग    की अनुमति बिना कही नही किया जा सकता है।


शीर्षक - निगाहें


विधा: कविता
शीर्षक: निगाहें
दिनाँक:२४/१०/२०२०
दिवस: शनिवार
कविता संख्या:4️⃣

बसा लिया इनमें आपको ये निगाहों का कुसूर है

आपको ना जाने खुद पर किस बात का गुरूर है

दिलकश़ निगाहें सिर्फ़ आप ही को ढूंढती हुज़ूर हैं

इन मदहोश निगाहों में छलकता मय का सुरूर है

कहिए झील सी गहरी निगाहें हमसे क्या छुपाती हैं

हाल-ए-दिल क्या जिसके बेपर्दा होने से घबरातीं हैं

ख़ामोश दिखती हैं मगर हलचल इनके अंदर रहती है

गहराई इन निगाहों की एक समंदर के मानिंद होती है

दीदार-ए-यार की घड़ी में शर्म-ओ-हया से झुकती हैं

थरथराते हैं खामोश लब और एक सिहरन सी होती है

कहर ढा जातीं जब झुकी - झुकी सी निगाहें उठती हैं

आरपार होते खंज़र और बिजलियांँ दिल पर गिरती हैं

राज़ बेशुमार छुपे होते हैं इन निगाहों में कहीं गहरे

ये निगाहें उन पर बिठा देती हैं घनेरी पलकों के पहरे

जो कभी आएँ जुदाई की घड़ियाँ दर्द से भर जाती हैं

ख़ुशी के लम्हों में ये भर कर छलक - छलक आती हैं

निगाहें इंसान के अंदरूनी अहसासों का आईना होती हैं

कभी शातिर , कभी कातिल तो कभी ये मासूम होती हैं

-© Anjalee Chadda Bhardwaj

मौलिक स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
**************************







Bloomkosh 

Bloomkosh हिन्दी काव्य webpage है,इस पर बहुत से हिन्दी साहित्य रचनाकारो की रचनाएँ संकलित की गयी है।



हमसे जुड़े



अन्य रचनाएँ 




Terms & conditions     Privacy policy    About us  Contact us    Disclaimer 

No comments:

Post a Comment