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चेहरा एक खुली किताब

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        चेहरा एक खुली किताब    


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शीर्षक - चेहरा एक खुली किताब


शीर्षक :चेहरा एक खुली किताब
विधा : कविता 

चेहरा एक खुली किताब खुश हो खिले जैसे गुलाब 
दुखी चेहरे को प्रसाधन भी नहीं ढक पाते जनाब

अंत:करण का सारा अवसाद चेहरे पर टिकता है
आँखों की खामोशियों में अकेलापन छलकता है 

जबरदस्ती की मुस्कान,दिल खोल हँसी की पहचान 
बच्चा भी बता सकता कितनी है टूटन व कितनी थकान

चिंता समय से पहले खींच देती चेहरे पर लकीरें 
बालों की जर्दी में बसते जिम्मेदारियों के जजीरे

माथे में पड़े बल, सिकुड़ी भौहें चिंता की निशानी
इधर-उधर ताकती आँखों से छलकती बेईमानी 

चेहरा अपने आप में कई दास्ताने छिपाए रहता है 
इंसान के अरमानों के  खजाने छिपाए रहता है 

जीवन के नवरसों का लेखा-जोखा है चेहरा 
अन्तर्मन की हर्ष-विषाद का आईना है चेहरा

 पढ़ सकती सभी भाव केवल अनुभवी आँखें 
उससे भी गहराई की समझ देती डूबी आवाजें


Writer : Ritu Vemuri




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