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माँ तू समझाकर

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                माँ तू समझाकर        


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शीर्षक - माँ  तू समझाकर



Poem 3

Maa tu samjha kar..

कोई सौक नहीं बड़े मकान का

मुझे अपने पल्लू में छुपाके रख ।।


क्या दुआ करूं उस खुदा से मां

बस तेरी साया मूझपे बना के रख ।।


भाग ना जाऊं किसी और गली में

कुछ डर तू मुझमें सजा के रख ।।


बस तेरे हाथ ना छोड़ दूं खुदगर्ज होके

मां तू एक एक कदम मुझसे बढ़ा के रख ।।


बस तेरी मोहब्बत में हद से गुजर जाऊं

कुछ ऐसा ही  ऐब मूझपे तू जगा के रख ।।







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